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Mahatma Jyotiba Phule Death Anniversary: Check out his contributions to society and his Famous Quotes

Mahatma Jyotirao Govindrao Phule was a humanitarian, author, philosopher, and revolutionary who fought against societal problems especially the upliftment of women. He was the pioneer in the field of women education and worked for the eradication of untouchability and caste system.

The great thinker was born on April 11, 1827 which is now celebrated as the Jyotiba Phule Jayanti every year. He belonged to the Mali caste of gardeners and vegetable farmers and himself faced caste discriminations. The thinker admired the Thomas Paine’s book titled The Rights of Man and it influenced him to believe that the only solution to combat the social evils was the enlightenment of women and members of the lower castes.

Jyotiba Phule educated his wife Savitri Bai and advised her to teach girls so as to accompany him in his mission. She later became the first female teacher in the country. He along with his wife established the first school for girls in Pune, India in 1848 for mainly lower classes as he was a firm believer of gender equality.

Jyotiba Phule with his followers established the Satyashodhak Samaj- a society for the truth seekers which worked for equal rights for women and exploited castes. He was a strong advocate of Widow Remarriage and built a home for lower and upper caste widows in 1854. Moreover he opened a home for new-born infants to fight against female infanticide.

He constructed a common bathing tub outside his house in 1868 to indicate that all human beings are same and there should not be any discrimination on the basis of caste, creed or religion. He was the one who first used the term ‘Dalit’ for the depiction of oppressed masses. He also wrote some great books like Tritiya Ratna, Chatrapati Shivajiraje Bhosle Yancha, Gulamgiri and many more.

He attacked the orthodox Brahmins and always worked for equality and upliftment of backward classes. He was given the title of Mahatma on 11th May, 1888 by a Maharashtrian social activist Vithalrao Krishnaji Vandekar for his spectacular contributions.

He was a great social reformer who inspires people that with hard work and dedication, you can change the world. He died on 28th November 1890, so on the day of his death anniversary, let’s have a look at his remarkable quotes which inspires us to achieve something in our life, fight for our rights and fulfill our duties towards the society.

  • ” भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक संभव नहीं है , जब तक खान – पीन एव वैवाहिक संबंधों पर जातीय भेदभाव बने रहेंगे .”
  • ” आर्थिक विषमता के कारण किसानों का जीवन स्तर अस्त व्यस्त हो गया है .”
  • ” स्वार्थ अलग अलग रुप धारण करता है . कभी जाती का , तो कभी धर्म का .”
  • ” पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है , और सभी मनुष्यों में नारी श्रेष्ठ है . स्त्री और पुरुष जन्म से ही स्वतंत्र है . इसलिए दोनों को सभी अधिकार समान रूप से भोगने का अवसर प्रदान होना चाहिए .”
  • ” शिक्षा के बिना समझदारी खो गई, समझदारी के बिना नैतिकता खो गई , नैतिकता के बिना विकास खो गया, धन के बिना शूद्र बर्बाद हो गया . शिक्षा महत्वपूर्ण है  .”
  • ” अगर कोई किसी प्रकार का सहयोग करता है , तो उससे मुंह मत मोड़िए . “
  • ” आपके संघर्ष में शामिल होने वालों से उनकी जाति मत पूछिए .”
  • ” मंदिरों में स्थित देवगण ब्राह्मण पुरोहितों का ढकोसला है.”
  • ” संसार का निर्माणकर्ता एक पत्थर विशेष या स्थान विशेष तक ही सीमित कैसे हो सकता है . “
  • ” अनपढ़ , अशिक्षित जनता को फंसाकर वे अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं और यह वे प्राचीन काल से कर रहें हैं . इसलिए आपको शिक्षा से वंचित रखा जाता है.”
  • ” ईश्वर एक है और वही सबका कर्ताधर्ता है . “
  • ” अच्छा काम करने के लिए गलत उपयों का सहारा नहीं लेना चाहिए .”
  • ” आपको लगता है भगवान और भक्तों के बीच किसी के मध्यस्था की आवश्यकता है . “
  •  ” शिक्षा स्त्री और पुरुष की प्राथमिक आवश्यकता है . “
  • ” बाल काटना नाई का धर्म नहीं , धंधा है . चमड़े की सिलाई करना मोची का धर्म नहीं , धंधा है . इसी प्रकार पूजा -पाठ करना ब्राह्मण का धर्म नहीं, धंधा है.”
  • ” ब्राह्मण दावा करते हैं कि वो ब्रह्मा के मुख से पैदा हुए हैं, तो क्या ब्रह्मा के मुख में गर्भ ठहरा था ? ,क्या महावारी भी ब्रह्मा के मुख में आई थी ? ,और अगर जन्म दे दिया तो ब्रह्मा ने शिशु को स्तनपान कैसे कराया ?.”
  • ” मंदिरों के देवी – देवता ब्राह्मण का ढकोसला हैं. दुनिया बनाने वाला एक पत्थर विशेष या खास जगह तक ही सीमित कैसे हो सकता है? जिस पत्थर से सड़क , मकान वगैरह बनाया जाते है उसमें देवता कैसे हो सकते हैं .”
  • ” ब्राह्मणों ने दलितों के साथ जो किया जो कोई कोई मामूली अन्याय नहीं है . उसके लिए उन्हें ईश्वर को जवाब देना होगा.”
  • “यदि आजादी, समानता, मानवता, आर्थिक न्याय, शोषणरहित मूल्यों और भाईचारे पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना है तो असमान और शोषक समाज को उखाड़ फेंकना होगा।”
  • “कोणताही ‘धर्म’ ईश्वराने निर्माण केलेला नाही आणि  ‘चातुर्वण्य’ व ‘जातिभेद’ ही निर्मिती मानवाचीच आहे.”
  • ” नीती हाच मानवी जीवनाचा आधार आहे.”
  • विद्येविना मती गेली। मतिविना नीती गेली। नीतिविना गती गेली। गतिविना वित्त गेले। वित्ताविना शूद्र खचले। इतके अनर्थ एका अविद्येने केले।

Mahatma Jyotiba Phule was one of the greatest social reformers who dedicated his whole life to raise the status of women and the backward classes. His belief in equality also inspired Mahatma Gandhi and B.R. Ambedkar to fight for the upliftment of underprivileged classes. His words and contributions left a very deep impact on Indian society and that’s why he will always stay an unforgettable inspiring figure in the history of India.

 

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